#आओ_प्रकृति_की_ओर_लौटें रासायनिक उर्वरको व रासायनो से जमीन के अन्दर रहने वाले सूक्ष्म जीव समाप्त, कीटनाशकों से खेतों पर मंडराने वाले लाभदायक मित्र कीट समाप्त, खरपतवार नाशकों से वानस्पतिक जैवविविधता समाप्त । सभी जीवों को मारकर जो अन्न पैदा किया जा रहा है, उसको खाकर मनुष्य आखिर कब तक स्वस्थ (जीवित) रहेगा ? देर-सबेर प्रकृति की ओर लौटना ही होगा । कहीं देर न हो जाये । आओ प्राकृतिक खेती करें और अन्य को प्रेरित करें.

Field Experience

प्रक्षेत्र दिवस (संकुल अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन दलहन जायद मूंग 2019 20 )


भाऊसाहब भुस्कुटे लोक न्यास द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र गोविंद नगर जिला होशंगाबाद के द्वारा संकुल अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन दलहन जायद मूंग 2019 20 का प्रदर्शन डॉक्टर देवीदास पटेल के मार्गदर्शन में 20 हेक्टेयर में (50 एकड़) में किया जा रहा है यह प्रदर्शन बनखेड़ी विकासखंड के ग्राम पलिया पिपरिया, खरसली लामटा, मालनवाडा एवं पिपरिया विकासखंड के ग्राम खापरखेडा एवं गढाघाट में मंग की उन्नत किस्म MH 421 एवं समन्वित कीट प्रबंधन तकनीकी के 50 प्रदर्शन कषको के प्रक्षेत्र पर डाले गए है। इन प्रदर्शनों का मुख्य उद्देश्य कृषको को बीज के लिए आत्मनिर्भर बनाना एवं खेती की नयी तकनिकी को कषि के प्रक्षेत्र पर प्रदर्शित करना है। .जिससे की नयी तकनिकी अधिक से अधिक किसानो तक पहचें | इस हेतु दिनांक 3/6/2020 को ग्राम खरसला में कृषक काशीराम कौरव जी के यहां मूंग का प्रक्षेत्र दिवस मनाया गया जिसमें ग्राम के 18 कृषकों को यह प्रक्षेत्र प्रदर्शन दिखाया गया कृषकों के द्वारा इस प्रदर्शन की सराहना की गई डॉक्टर पटेल ने कृषको को यह जानकारा दी की मूंग की यह उन्नत किस्म MH 421 में एक साथ फलन होने के कारण इसे आसानी से हार्वेस्टर से भी कटवा सकते हैं इस किस्म में मूंग का पीला विषाणु रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है एवं साथ ही साथ सफ़ेद मक्खी के प्रति भी प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण इसमें कीटनाशक दवाओं का कम छिड़काव करना पड़ता है यह किस्म 60 से 65 दिन में पककर तैयार हो जाती है, कृषको ने बताया कि इस किस्म से ओसतन 6 से 7 क्विन्टल उत्पादन प्राप्त हो सकता है या किस्म अगेती होने के कारण इसे समय पर काट कर खरीफ फसल की बआई हेतु खेत तैयार करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है, कषकों का कहना है कि आने वाले वर्षों में एम.एस 421 का ही बीज ज्यादा क्षेत्र में लगाएंगे कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से बीज स्वावलंबन के अंतर्गत किसान अपने स्वयं का बीज बनाकर आत्मनिर्भर हो रहे हैं जिससे कि उन्हें बीज के लिए बाजार पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और अच्छी गुणवत्ता का बीज अपने ही प्रक्षेत्र पर कृषि बैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में उत्पादन कर रहे हैं प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन कोविड-19 के नियमों को ध्यान में रखते हा कार्यक्रम का आयोजन किया गया | लोकडाउन के दौरान कृषको को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया जिससे किसानो को घर बैठे कृषि सम्बन्धी जानकारी प्राप्त हुई।

कृषि वैज्ञानिको की सोयाबीन, मक्का एवं धान की फसल हेतु सलाह


कृषि विज्ञान केंद्र गोविंदनगर, जिला होशंगाबाद द्वारा पिपरिया ब्लोक में ग्राम खैरीकला, बरुआढाना, तारोंन कला में नैदानिक प्रक्षेत्र भ्रमण किया गया जिसमे खरीफ में लगी हुई फसलो सोयाबीन, मक्का, धान फसलो का निरिक्षण किया गया इस दौरान सोयाबीन फसल में येलो मोजेक (पितसिरा) रोग देखा गया जिसके लिए कृषि विज्ञानं केंद्र के कीट वैज्ञानिक ब्रजेश कुमार नामदेव ने किसानो को बताया की येलो मोजेक रोग सफ़ेद मक्खी के द्वारा फ़ैलता है जो की एक विषाणु जनित रोग है | इसके प्रबंधन के लिए ब्रजेश कुमार नामदेव ने किसानो को सलाह दी की प्रभावित पौधो को उखाड़कर जमीं में गड़ा दे एवं सफ़ेद मक्खी के प्रबंधन हेतु कीटनाशी थायोमेथाक्साम 25WG को 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से या एसिटामाईप्रेड 50 WP की 50 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिडकाव करे | भ्रमण के दौरान मक्का की फसल में कही कही फाल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप देखा जा रहा है जिसके लिए नामदेव जी ने बताया की फाल आर्मीवर्म कीट के प्रबन्धन के लिए 15 फेरोमान ट्रेप प्रति एकड़ की दर से लगाये एवं “T” आकार की खुटियाँ 100 प्रति एकड़ लगवाये इसके अलावा जैविक कीटनाशी मेटाराइजियम एनिसोप्ली अथवा बेवेरिया बेसियाना 1 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिडकाव करे एवं रासायनिक कीटनाशी थायोमेथाक्सम 12.6%+ लेम्डासाईहेलोथ्रिन 9.5% या स्पईनोटेरम 11.7% का छिडकाव करें। साथ ही पादप प्रजनक वैज्ञनिक डॉ देवीदास पटेल ने धान की फसल में खरपतवार प्रबंधन हेतू मेटसल्फयूरॉन मिथाइल +क्लोरीम्यूरॉन 20% 4 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव की सलाह दी

सिवनी मालवा ब्लोक के शिवपुर ग्राम में कृषि वैज्ञानिको की सोयाबीन, मक्का एवं धान की फसल हेतु सलाह


प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान कृषि वैज्ञनिको ने किया फसलो का निरिक्षण


पोषण को ध्यान मे रख कर कोदो एवं कुटकी खेती करने पर जोर दिया जा रहा है


कृषि विज्ञान केंद्र होशंगाबाद द्वारा पोषण को ध्यान मे रख कर खेती करने पर जोर दिया जा रहा है इस तारतम्य मे होशंगाबाद मे धीरे धीरे विलुप्त हो रही मोटे अनाज की खेती पर जोर दिया जा रहा है जिसमे खरीफ के मौसम मे कोदो इन्दिरा ---1 और कुटकी --- JK ---4 प्रजाति को 10 गाँव के 25 किसानो को बीज उपलब्ध कराया गया जिसमे ग्राम कोठरी ब्लॉक बनखेड़ी और ग्राम चाकर ब्लॉक पिपरिया के किसानो ने बहुत अच्छी फसल ली कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ संजीव कुमार गर्ग जी ने बताया की कृषि विज्ञान केंद्र उत्पादन और पोषण को ध्यान मे रखते हुए किसान भईयों को उचित मार्गदर्शन दे रहा है डॉ आकांक्षा पाण्डेय द्वारा डिंडोरी से बीज मँगवाकर किसानो को दिया गया होशंगाबाद जिले मे कोदो कुटकी की खेती पुराने समय मे बहुत होती थी समय के साथ इसकी जगह धान, गन्ना, ने ले ली हमारा प्रयास है किसानों को मोटे अनाज का बीज उपलब्ध करा कर ज्यादा से ज्यादा लाभ दिला सके डॉ पाण्डेय द्वारा बताया गया की आज के समय मे सभी ने स्वास्थ्य और स्वास्थ्य के लिए जरुरी भोज्य पदार्थो को समझा है इस लिए आज सभी जानते है की मोटे आनाज पोषण युक्ति होते है कोदो 100ग्राम 66.6ग्राम कार्बोहायड्रेट और 353कैलोरी मिलती है 1.4 % फैट और 2.6%मिनरल मिलते है आयरन 25.86ppm से 39.60 ppm तक मिलता है कुटकी मे सभी पोषण तत्व के साथ सल्फर kantanig एमिनो एसिड सीस्टीन और मिथियोनिन होता है इसमे आयरन केरोटीन व ज़िंक की मात्रा पर्याप्त होती है कोदो कुटकी आहार मधुमेह, यकृत , किडनी रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी है

फसलो का निरिक्षण


फसलो का निरिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र गोविंदनगर के वैज्ञानिक द्वारा किसान बंधुओ के प्रक्षेत्र पर सतत भ्रमण कर रबी फसलो का निरिक्षण किया जा रहा है |

फसलो का निरिक्षण


फसलो का निरिक्षण